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Sep 22, 2010

पेट दर्द ( Abdomen pain ) और एलो वेरा |

पेट में दर्द होना एक आम समस्या है ,जिससे लगभग सभी व्यक्तियों को जीवन में अनेक बार सामना करना पड़ता है | इनके कारण अनेक तथा अलग हो सकते है , किन्तु फिर भी पेट के किसी भी भाग में व स्थान में दर्द को सामान्यतः हम "पेट दर्द" के नाम से ही संबोधित करते है | तत्पश्चात यदि चिकित्सक के पास जाने की आवश्यकता पड़ जाय तो तो वो निदान कर के बताते है कि पेट दर्द किस कारण से हो रहा है और उसे फिर रोग विशेष का नाम देकर उपचार प्रारंभ करते है |

जैसे की गेस्ट्राईटिस, हायपर एसिडिटी, अपेंडीसाईटिस, कोलाइटिस, या अल्सरेटिव कोलाइटिस इत्यादि | कई बार ऐसा देखा गया है कि अचानक पेट में असहनीय दर्द के मरे व्यक्ति तड़पने व छटपटाने लगता है | अनेक बार वायु का गोला सा उठता है और कई बार ऐठन , मरोड़, सुई या शूल चुभने जैसा, आरी से काटने जैसी स्थिति हो जाती है | कभी कभी पेट में अफारा आकर पेट को ढोल की तरह फुल जाता है और ऐसा लगता है मनो पेट फटने वाला है , ऐसी हालात में पेट में तेज दर्द होने लगता है|


अब हम इनके प्रमुख कारणों पर गौर करेंगे : - पेट दर्द के अनेकों कारण हो सकते है | पेट अवस्थित अंगों में अन्न नलिका, आमाशय, ग्रहणी, छोटी आंत, बड़ी आंत, अपेंडिक्स, मलाशय, लीवर, तिल्ली, दोनों गुर्दे, मूत्र नलिका ( Ureter ) पेनक्रियाज, पिताश्य ( Gall bladder ),तथा स्त्रियों में गर्भाशय एवं अंडाशय ( दोनों ओवरीज ) प्रमुख है

इन अंगों में से किसी भी अंग में विकार होने से पेट में दर्द हो सकता है | किन्तु दर्द का स्थान और दर्द की प्रकृति भीं-भिन्न प्रकार से महसूस की जाती है | कब्ज़-गैस बनाना, अपच या अजीर्ण तथा कीड़े पेट दर्द के प्रमुख कारण माने जाते है |

आमतौर पर पेट दर्द का कारण हमारे खाने-पिने की विकृत होने से सम्बंधित ही होता है | व्यस्त जीवन शैली, जंक फ़ूड आजकल का सबसे प्रमुख आहार हो गया है | गरिष्ठ भोजन जो की वायु बनता है, उसका सेवन अधिक मात्रा में करना, ठंढा-बासी खाना, तेल-,मिर्च मसालेदार पदार्थों का अत्यधिक सेवन, पेट में गैस बनाना , कब्ज़ रहना,आमाशय -गृहणी अथवा आँतों में अल्सर, हायपर एसिडिटी, आँतों में सुजन भोजन के तत्काल बाद सो जाना, भोजन के तत्काल ही भागना, कूदना, फंदना , कोई विषाक्त पदार्थ खा लेना इत्यादि अनेक कारण से पेट में तेज दर्द हो सकता है |

घरेलु उपचार :-
अब जैसे ही पेट दर्द की शिकायत कोई व्यक्ति अपने घर में करता है तो उसे तत्काल घरेलु उपचार कर उसे ठीक करने की कोशिस की जाती है | उस वक्त सिवाय इसके की क्या खाया-पिया था, पेट दर्द की वास्तविक जानकारी के बगैर अपनी समझ से घर पर मौजूद सुबिधाओं जैसे सोंठ, मेथीदान, काला नमक, अजवायन इत्यादि का प्रयोग आमतौर पर किया जाता है | प्रार्थमिक उपचार के तौर पर यह एक विशिष्ट औषधि माना जाता है | फिर भी अगर दर्द में लाभ नहीं मिल रहा हो तो तत्काल चिकित्सक को दिखाना ही बुद्धिमानी है |

पर अगर आपके घर में एलो वेरा जेल है तो आपके घर का समझिये वो खुद ही वैद्य है | एलो वेरा भारत में सदियों से लोकप्रिय है और इसे कई नाम से जाना जाता है जैसे कोरफड, कुमारी, घी कंवार, ग्वार पाठा, घृत कुमार, केतकी इत्यादि | एलो वेरा का सबसे अधिक चिक्तिसीय व औषधीय गुणों के भण्डार वाले पौधा बार्बाड़ेंसिस मिलर का ही प्रयोग करते है |

एलो वेरा में मौजूद लिग्निन और सेपोनिन प्राकृतिक तरीके से आपके पेट के अन्दर की आंत को अच्छी तरह से सफाई कर देते है | जब आपके पाचन प्रणाली का टाक्सिन निकल जाता है तो आप अन्दर और बाहर दोनों रूप से स्वस्थ्य हो जाते है | अतः एलो वेरा आपके घर का वैद्य है जब तक आपके पास है आपको प्रार्थमिक चिकित्सा की शायद आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !